– साहित्य के बिना कौन सहारा हमारा –
साहित्य के सिवा कौन सहारा हमारा –
रिश्ते नाते सब स्वार्थ के भूखे,
दुनिया है धन की भूखी,
धन वालो के पीछे जाए,
निर्धन किसी को न सुहाए,
निर्धन से सब आंख चुराए,
अपने सपने हो जाते जब,
जेब में अपने नोट न आए,
नोट कमाए सब दौड़े चले आए,
ऐसे लोग हमे न भाए,
हमारी दुनिया साहित्य ही है,
साहित्य के बिना कौन सहारा हमारा,
साहित्य ही हमारे मन को भाए,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान