साहित्य की उपादेयता
साहित्य बुरे अनुभवों को भूलने में मदद करता है। वजह यह कि आप साहित्यिक जुनून और पछतावे को एक साथ मस्तिष्क में नहीं रख सकते। साहित्य दूसरों को खुशी और सृजेता को खुद एक अच्छा अनुभव देता है।
भले ही दुनिया खत्म हो जाए, लेकिन साहित्य सदा जीवित रहेगा। साहित्य की कोई जाति, वर्ग, धर्म या सम्प्रदाय नहीं होता। साहित्य किसी दायरे या सरहद में बंधा हुआ नहीं है।
दरअसल साहित्य वो ईश्वर है, जो सर्वव्यापी है, जिसे सब मानते हैं। इसलिए साहित्य लोक कल्याणकारी हों, यह बहुत जरूरी है।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
साहित्य और लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।