Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2023 · 1 min read

सावन

भीगे मन को भीगा सावन, सूखा-सूखा लगता है ।
मूक अधर, सूनी नजरों से, चौपाल भला कब सजता है ।
आँखों की कोरें भीगी हों
तो क्या करना सावन का,
मन में यदि न उम्मीदें हों
तो क्या करना सावन का,
रहें अधूरे स्वप्न यदि
तो क्या करना सावन का,
आशा के दीपक जले नहीं
तो क्या करना सावन का,
सावन तो मन के अंतस अन्दर, बैठा हो तो फबता है।
मूक अधर, सूनी नजरों से, चौपाल भला कब सजता है ।
जिन घर चूल्हे जले नहीं
वो क्या झूला झूलेंगे,
जो पैर थके फिर चले नहीं
वो क्या झूला झूलेंगे,
जब कमर तोड़ती महंगाई
बोलो क्या झूला झूलेंगे,
भविष्य दिखे अंधियारे में
तो वो क्या झूला झूलेंगे,
रहे व्यवस्थित सब कुछ तब ही, झूला अच्छा लगता है।
मूक अधर, सूनी नजरों से, चौपाल भला कब सजता है ।
मनमीत नहीं हो पास अगर
तो फाग भला क्या गायेंगे,
सावन में बारिश की बूँदें
विरह अगन भड़काएंगे,
सीमा पर जेठ दुपहरी हो
तो हम कैसे सावन पाएंगे,
हर तरफ रुदन हो झमेला हो
तो फाग भला क्या गायेंगे,
हर जगह हर्ष का नाद बजे, फाग तभी तो गवता है।
मूक अधर, सूनी नजरों से, चौपाल भला कब सजता है ।

(c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”

5 Likes · 356 Views
Books from दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
View all

You may also like these posts

गोमुख
गोमुख
D.N. Jha
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
gurudeenverma198
बेटियां
बेटियां
Phool gufran
तरक्की
तरक्की
Khajan Singh Nain
ग़ज़ल- ये नहीं पूछना क्या करे शायरी
ग़ज़ल- ये नहीं पूछना क्या करे शायरी
आकाश महेशपुरी
आकाशवाणी: अंतरिक्षवाणी
आकाशवाणी: अंतरिक्षवाणी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तू बढ़ता चल....
तू बढ़ता चल....
AMRESH KUMAR VERMA
#जब से भुले द्वार तुम्हारे
#जब से भुले द्वार तुम्हारे
Radheshyam Khatik
लिवाज
लिवाज
उमेश बैरवा
विषय-हारी मैं जीवन से।
विषय-हारी मैं जीवन से।
Priya princess panwar
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
पूर्वार्थ
अद्भुद भारत देश
अद्भुद भारत देश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बेरोजगार
बेरोजगार
Harminder Kaur
"अनाज"
Dr. Kishan tandon kranti
মা কালীর গান
মা কালীর গান
Arghyadeep Chakraborty
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
आधुनिकता का दंश
आधुनिकता का दंश
Sudhir srivastava
बोलिंग बेटिंग फील्डिंग, तीनों सबके पास
बोलिंग बेटिंग फील्डिंग, तीनों सबके पास
RAMESH SHARMA
अपनी सीरत को
अपनी सीरत को
Dr fauzia Naseem shad
23/152.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/152.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
न दुख से परेशान होइए।
न दुख से परेशान होइए।
Rj Anand Prajapati
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
काश तुम में वो बात होती!
काश तुम में वो बात होती!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अपराध बोध
अपराध बोध
ललकार भारद्वाज
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
दो घड़ी अयन फिर बच्चा हो गया
दो घड़ी अयन फिर बच्चा हो गया
Mahesh Tiwari 'Ayan'
शब्द अनमोल मोती
शब्द अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...