सावन
सावन
सखियों री झूला डरे् सावन में चहूँ और
राधा संग झूले झूला् सांवल नन्दकिशोर।।
मेघमल्हार गावत हैं सब्
गली गली नर नारी ।
ढोल मंजीरे गूँजत हैं ्
नाच करे प्रजा सारी ।।
काले बदरवा छाऐ हैं ्
घन घन बादल गरज करे।
आंधी अधीर चल रही्
वर्षा घनघोर मूसलाधार धरे ।।
सुषमा सिंह