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18 Jul 2020 · 1 min read

सावन

देख सावनी फुहार, धरती करे शृंगार,ओढ़ के धानी चुनर, लगती है दुल्हन

चूड़ियों की खन खन, पायल की रुनझुन,मेहंदी की है सुंगन्ध,नाच रहा ये मन

झूला पड़ा नीम डार,सखियों की है बहार,गीत कजरी मल्हार, गुंजार उपवन

गरज गरज जोर, मेघ ये मचाएं शोर,आया देखो झूम कर, हरियाला सावन

18-07-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

3 Likes · 1 Comment · 469 Views
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