सावन
सावन??????
मन हुआ है मेरा बावरा,दिल झूमझूम कर गाए,
बारिश की रिमझिम से मेरा रोम रोम खिल जाए।
छायी हरियाली चारों ओर,आया मौसम सावन का
झूले पड़ गए बागों में,कोयल मीठी तान सुनाए।
इर्दगिर्द फूलों के देखो भँवरे भी कैसे डोल रहे,
ऐसे में चातक भी स्वाति बूंद की आस लगाए।
बिखरा रही है खुशबू,हाथों में मेहंदी पिया नाम की,
चूड़ी की खनखन,छमछम पायल की शोर मचाए।
रमा हुआ है मन मेरा यह,सप्तसुरों के रंगों में,
श्रृंगार रस में शब्द गूँथे हैं,प्यार की मीठी तान बजाए।।
By:Dr Swati Gupta