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25 Jul 2021 · 1 min read

सावन में आस पिया की

सावन का महीना लगा,पिया दरस की प्यास।
आकर झूला झूला दे पिया,तेरे मिलन की आस।।
सखी री पिया मिलन की आस…

अमुआ डाल झूले पड़े,सखियां झूले आज।
मैं कैसे झुलूँ पिया,तेरे मिलन की आस।।
सखी री पिया की आस…

धरती हरी भरी हो गई ,सावन घटा घनघोर।
सखियां भी अब बोल गई,पिया पिया का शोर।।
सखी री पिया पिया का शोर…

सावन माह आते बढ़ी,पिया मिलन की आस।
बैठी मैं तो सज-सँवर ,मेरे पिया आएंगे पास।।
सखी री मेरे पिया आएंगे पास…

नभ पर बादल गरजते ,घटा छाई घनघोर ।
रास दामिनीे कर रही ,मचा मचा कर शोर ॥
सखी री मचा मचा कर शोर…

पल्लू लहराये हवा , बारिश की है फुहार।
उड़े मेरी चुनरिया ,रिमझिम हैं बौछार।।
सखी री रिमझिम हैं बौछार…

सावन बरसा बरस रही ,भीगा तन मन आज।
अमूवा डाल झूले पड़े ,झूले सखियां आज ॥
सखी री झूले सखियां आज…

भीगा भीगा सब तरफ ,भीगी भीगी रात।
भीगे मेरे अरमान सब ,कैसी आई बरसात॥
सखी री कैसी आई बरसात…

कुहु कुहू कोयल कर रही अम्बुआ देखो डार।
मेरे नैन लगे हैं टोह में, पिया देखूँ बारम्बार।।
सखी री मैं देखु बारम्बार…

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 248 Views
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