Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2021 · 1 min read

सावन आया झूमकर

मदिरा सवैया में रचित
••••••••••••••••••••••

सावन में मन डोल रहा, अब बूँद पड़े महके अंगना।
लाल कपोल हुए मुख पे, अब पायल चाह रही बजना।
भींग रहा तन आज पिया,मन चाह रहा फिर भी भींगना।
छेड़ रही सखियाँ हमको, तन मांग रहा सुर पे नचना।।

बागन में अब कोयल बोल,लगे अमवा रमते अँगना।
ताल तड़ाग भरे उछले, सरके जइसे मनवा सजना।
यौवन झूम रहा खिलके, अब सावन झूम रहा गगना।
कामद भी अब नाच रहा, सखियाँ संग देख भरे अंगना।

झूम रहे मन मानस देख, हवा नित का सुरभी बहना।
झूम रहे तरु आपस में, बजे जस हाथन का कंगना।
झूम रही रति झूलन पे, दमके तन प्रीतम का लहंगा।
सोच सभी रहते कहते, अइसे सावन झमके अंगना।।

★★★★★★★★★★★
अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ,.प्र.
★★★★★★★★★★★

Language: Hindi
1 Like · 227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक बूढ़ा बरगद ही अकेला रहा गया है सफ़र में,
एक बूढ़ा बरगद ही अकेला रहा गया है सफ़र में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आज बाजार बन्द है
आज बाजार बन्द है
gurudeenverma198
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
कितना कुछ सहती है
कितना कुछ सहती है
Shweta Soni
"साड़ी"
Dr. Kishan tandon kranti
मोह मोह के चाव में
मोह मोह के चाव में
Harminder Kaur
बोल दे जो बोलना है
बोल दे जो बोलना है
Monika Arora
आराम का हराम होना जरूरी है
आराम का हराम होना जरूरी है
हरवंश हृदय
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
पूर्वार्थ
2345.पूर्णिका
2345.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
🌷🌷  *
🌷🌷 *"स्कंदमाता"*🌷🌷
Shashi kala vyas
बादल
बादल
लक्ष्मी सिंह
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
HEBA
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
Satyaveer vaishnav
रात का आलम किसने देखा
रात का आलम किसने देखा
कवि दीपक बवेजा
गैरो को कोई अपने बना कर तो देख ले
गैरो को कोई अपने बना कर तो देख ले
कृष्णकांत गुर्जर
आज का दौर
आज का दौर
Shyam Sundar Subramanian
" मैं तन्हा हूँ "
Aarti sirsat
इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
Santosh kumar Miri
- दीवारों के कान -
- दीवारों के कान -
bharat gehlot
दिखावा
दिखावा
Swami Ganganiya
बेवजह यूं ही
बेवजह यूं ही
Surinder blackpen
लाईक और कॉमेंट्स
लाईक और कॉमेंट्स
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
होलिका दहन कथा
होलिका दहन कथा
विजय कुमार अग्रवाल
13, हिन्दी- दिवस
13, हिन्दी- दिवस
Dr Shweta sood
सियासत में सारे धर्म-संकट बेचारे
सियासत में सारे धर्म-संकट बेचारे "कटप्पाओं" के लिए होते हैं।
*प्रणय प्रभात*
माँ दे - दे वरदान ।
माँ दे - दे वरदान ।
Anil Mishra Prahari
*जीवन की शाम (चार दोहे)*
*जीवन की शाम (चार दोहे)*
Ravi Prakash
क्या छिपा रहे हो
क्या छिपा रहे हो
Ritu Asooja
Loading...