सावन के काले बादल औ’र बदलियां ग़ज़ल में।
गज़ल
221…..2122….221…..2122
सावन के काले बादल औ’र बदलियां ग़ज़ल में।
गुलशन के सब गुलों की, हैं तितलियां गज़ल में।
इस लोक की हैं खुशियां परलोक की हैं परियां,
दोनों जहान की हैं, सब मस्तियां गज़ल में।
इकबाल मीर ग़ालिब राहत गज़ब के शायर,
जगजीत जैसे गायन की हस्तियां गज़ल में।
है प्यार औ’र मुहब्बत चैनो अमन की खुशबू,
हर तर्ह की हवाओं की खिड़कियां ग़ज़ल में।
प्रेमी जो की मोहब्बत ग़ज़लों में दर्ज है सब,
देखो तो सब मिलेंगी वो चिट्ठियां ग़ज़ल में।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी