सावन की बरसात
वो कड़कड़ाती बिजलियां
छत से टपकता पानी
मुझे आज भी याद है
बचपन की वो बरसात ।
हाथों मे कागज की किश्ती
और गलियों की नदियां
आसमान मे चमकता इन्द्रधनुष
और वो अविरल बरसात ।
चमन की उठती महक
मिट्टी की सोंधी खुशबु
प्यासे पत्तों पर पड़ती
पानी की वो बरसात ।
झूम उठते थे दोनो
बचपन और जवानी
जब लौट के आती थी
सावन की वो बरसात ।
मुझे आज भी याद है
बचपन की वो बरसात ।।
राज विग 10.06.2021