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22 Jul 2021 · 1 min read

सावन की फुहारें

सावन की
रिमझिम फुहारें
स्याम मेघों से
ढका अम्बर
हरियाली
बसुधा का
श्रंगयौवन
बारि बूंदों की
सरसराहट
श्रंगारी धुन के साथ
उनकी यादें
मानस मे
विरह गीत गाकर
नृत्य कर
कुकृत्य कर
पथभ्रष्ट कर रही हैं|
कभी मन्द
कभी तीब्र
गति से
पूरवा पवन के
मदमस्त झोंके
गुलाब के
गुलाबी अंगों का
आलिंगन कर
गेह की अधखुली
खिड़कियों से
असमय
प्रबेश कर
अपरिमित सुगन्ध के साथ
मेरी काया से
टकराकर
सता रहे हैं
नेह का
अपरिमेय स्नेह
आज भी
पल-पल पल रहा है
बता रहे हैं|
रचयिता
रमेश त्रिवेदी
कवि एवं कहानीकार
नरदी, पसगवां, लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
2 Likes · 618 Views
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