सावन की फुहारें
सावन की फुहारें हो, इक बस तेरा साथ हो,
रंजोगम से दूर कहीं, खुशियों की सौगात हो।
बँधे रहे हम बाहुपाश में, दूरी ना हो दरम्यान,
भीग जाये तन और मन, बस हाथों में हाथ हो।
तुम्हें निहारुँ हरपल मैं, तू मूरत बन पड़ी रहे,
मूसलाधार बारिश में भी , मेरे संग तू खड़ी रहे।
मेरे वक्षस्थल पर सदा, झुका हुआ तेरा माथ हो,
सावन की फुहारें हो, इक बस तेरा साथ हो।
सारे शिकवे गिले भुलाकर, प्यार की ही बात हो,
हम हैं राही प्यार के, खुशियों की बरसात हो।
ऐसी हालत में भी हम, पल दो पल सुस्ता लेंगे,
सावन की फुहारें हो, इक बस तेरा साथ हो।
गरमी के तपिश कम करने, यह बरसात आती है,
मिट्टी की सोंधी सोंधी महक, संग अपने लाती है।
गर्म पकौड़े चाय संग, बस हरियाली की बात हो,
सावन की फुहारें हो, इक बस तेरा साथ हो।
?? मधुकर ??
(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)
नाम – अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
जमशेदपुर, झारखण्ड।