सावन का ,
सावन का ,
बरसना जारी है।
लग रही,
सारी धरा प्यारी है ।।
नभ से
मेघ निकल रहे _
बिजलियों का लेकर संग।
जल धाराएं ,
बह चली न्यारी है ।।
_राजेश व्यास “अनुनय”
सावन का ,
बरसना जारी है।
लग रही,
सारी धरा प्यारी है ।।
नभ से
मेघ निकल रहे _
बिजलियों का लेकर संग।
जल धाराएं ,
बह चली न्यारी है ।।
_राजेश व्यास “अनुनय”