सारे ही चेहरे कातिल है।
सारे ही चेहरे कातिल है।
हम जाए भी तो जाए कहां।।
ऐ खुदा अब तू ही बता।
मुझको यूं खुशियों का पता।।
कहीं हासिल ना सुकूं है।
नफरत फैली है यूं बे पनाह।।
हर शू ही धुंआ धुंआ है।
उजड़ी है सारी ही बस्तियां।।
अदब ए निशां बचे ना।
मिट गई शहर की हस्तियां।।
यूं जमीं को मैला किया।
देखो रो रहा है ये आसमां।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ