सारसी छ्न्द- [ ==मातृ दिवस
–मातृ दिवस पर माँ को समर्पित भावभीनी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
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चली है क़लम आँख आँसू गिरे |
माँ तुम्हें है नमन – माँ तुम्हें है नमन |
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===================सारसी छ्न्द- [१६+११=२७] ======
सारसी छ्न्द- [१६+११=२७] सारसी छ्न्द चौपाई [मात्रभार १६] और दोहा के सम चरण [मात्रभार ११ ] के संयोग से निर्मित मधुर गेय -सारसी छ्न्द सम चरण तुकांत होता है
माँ निर्मल झरने की धारा, देखो नयन उघार |
नही मिलावट मातु प्यार में, उज्ज्वल है संसार |
चरणो में तीरथ बसते है, धर्म कर्म विश्वास –
मंदिर मस्जिद क्यों जाते हो, गिरजाघर गुरुद्वार |
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श्रद्धा सुमन करो नित अर्पण, तन मन कर विस्तार |
सुफल जन्म तेरा हो जाए ,कंचन ह्रदय कुम्हार |
राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी