Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2021 · 16 min read

स्वास्थ्य विषयक कुंडलियाँ

57 कुंडलियाँ महामारी-स्वास्थ्य
[25/3/2019, 10:52 AM] Ravi Prakash: रखो सफाई खूब
===========================
गर्मी में फिर छिपकली, छत पर दीखी आज
नन्हीं चुहिया कह रही , घर में मेरा राज
घर में मेरा राज , मक्खियों के दल आते
ज्यों ही होती शाम , गीत मच्छर हैं गाते
कहते रवि कविराय , काम में रखो न नरमी
वरना ढेरों रोग , सताएंगे भर गर्मी
**********************************
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश, मोबाइल 99976 15451
[4/4/2019, 11:49 AM] Ravi Prakash: अट्ठारह का राजू (कुंडलिया )
——————————————-
बोला माँ से एक दिन , राजू दिल की बात
अट्ठारह का हो गया, फिर भी कब औकात
फिर भी कब औकात ,मुझे बच्चे सब कहते
नाम रखो गंभीर , बड़े- जन जैसे रहते
कहते रवि कविराय, राज माँ ने तब खोला
सदा रहेगा बाल , तुझे राजू यूँ बोला
******************************
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश /मोबाइल 99976 15451
[5/4/2019, 12:17 PM] Ravi Prakash: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा( कुंडलिया )
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
संवत नूतन आ गया , मौसम में उन्माद
ठिठुर- ठिठुर करती हुई, ठंडक किसको याद
ठंडक किसको याद, हवा में शहद बसा है
लिए हुए अनुराग , सहज ही मनुज हँसा है
कहते रवि कविराय,सुनो यह अपना अभिमत
चैत्र शुक्ल की एक , हिंद का नूतन संवत
*********************************
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[5/4/2019, 12:22 PM] Ravi Prakash: अनमोल देह (कुंडलिया )
::::::::::::::::::::::::::::::::::::;
जानो कीमत देह की, समझो यह अनमोल
मिट्टी मत समझो इसे, यह सोने की तोल
यह सोने की तोल , रची कुदरत ने प्यारी
अंग-अंग बेजोड़ , वाह क्या रचना सारी
कहते रवि कविराय, बात यह सच ही मानो
जिसकी रचना देह , बड़ा कारीगर जानो
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश ,मोबाइल 99976 15451
[6/4/2019, 4:38 PM] Ravi Prakash: फूँको की महिमा बड़ी (कुंडलिया)
*********************************
मारी फूँके तो गए , तन से सारे रोग
फूँको की महिमा बड़ी, फूँको का उपयोग
फूँको का उपयोग , फूँक से जीवन पाता
जिसकी निकली फूँक,फूँक उसको जगआता
कहते रवि कविराय , फूँक को रखना जारी
जिंदा है इंसान , फूँक है जब तक मारी
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश, मोबाइल 99976 15451
[11/4/2019, 9:11 AM] Ravi Prakash: यह शरीर अनमोल ( कुंडलिया )

टूटी जिसकी देह तो , खर्चा लाखों लाख
समझो मत मिट्टी इसे ,समझो यह मत राख
समझो यह मत राख, करोड़ों कीमत जानो
यह शरीर अनमोल, खरा है यह सच मानो
कहते रवि कविराय, समझ लो किस्मत फूटी
लाखों का है रोग , देह जब जिसकी टूटी

रचयिता :रविप्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[11/4/2019, 8:28 PM] Ravi Prakash: फर्जी वोटिंग (कुंडलिया)
********************
फर्जी वोटिंग ने किया , सारा बंटाधार
अब तो आना चाहिए , अंगूठा आधार
अंगूठा आधार , देखिए . बुर्का घूंघट
वोटर तो है एक ,डालते छह-छह झटपट
कहते रवि कविराय, बूथ पर जिसकी मर्जी
डाल रहा है वोट., बटन दबता है फर्जी
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[12/4/2019, 6:24 PM] Ravi Prakash: बहती नदिया( कुंडलिया )
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
बहती नदिया कह रही, मुझ पर कर लो गौर
मेरे पानी का सदा , पल -दो पल का दौर
पल -दो पल का दौर, मुसाफिर मुझको मानो
बदला पल में आज ,नहीं जग अपना जानो
कहते रवि कविराय, बदलती सत्ता रहती
बदला पानी रोज , निरंतर नदियां बहती
******************************
रचयिता ःरवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[15/4/2019, 7:51 AM] Ravi Prakash: लोभी नेता चाहता (कुंडलिया)
*****************************
लोभी नेता चाहता , सीटें हों यदि चार
बन जाएगी देश में , अपनी भी सरकार
अपनी भी सरकार , चार दिन ऐश उड़ाएं
चार दिवस का राज , देश में भैंस चराएं
कहते रवि कविराय,करो जी तिकड़म जो भी
बन जाए सरकार , देश का मुखिया लोभी
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[15/4/2019, 9:11 AM] Ravi Prakash: देश का नेता कैसा हो ?
*******************************
लोकसभा के चुनाव में सबसे बड़ा प्रश्न यही होता है कि किस दल की सरकार बने और देश का प्रधानमंत्री कौन बने ? लेकिन भारत के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में जहां केवल भारतीय जनता पार्टी के द्वारा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार बनाने का प्रबल दावा है , वहीं दूसरी ओर बाकी सभी राजनीतिक दल अपने आप में निस्तेज हैं।वह सब मिलकर भी सिवाय अंतर्विरोधों के और कोई साफ-सुथरी तस्वीर प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं।
देश का नेता कैसा हो- इस बारे में गठबंधन में कोई साफ तस्वीर नहीं है। सच तो यह है कि वह यह सोचते हैं कि बेहतर यही होगा कि किसी का भी बहुमत इन चुनावों में न आए। मिली जुली सरकार बनाने की नौबत आए और तब हमें अपने दो- चार ,दस -पाँच या बीस- पच्चीस सांसदों के साथ भरपूर सौदेबाजी करने का अवसर मिलेगा । चिंतन तो यहां तक है कि अगर किसी के पास 8-10 सीटें भी आ जाएं तो वह प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर देगा और कोई ताज्जुब नहीं कि वह भारत का प्रधानमंत्री बन भी जाए। यह स्थिति कि ऐसा व्यक्ति अगर देश का नेता बनता है तो यह भारत के लिए सबसे कमजोर, मजबूर और हताशा तथा निराशा से भरी हुई स्थिति होगी।
देश का नेता तो ऐसा होना चाहिए जो स्पष्ट बहुमत की सरकार का नेतृत्व करता हो, जो पूरे 5 साल तक दृढ़ निश्चय के साथ राष्ट्रहित में कठोर फैसले ले सके और उनका क्रियान्वयन कर सके। देश के भीतर और देश के बाहर जिसकी आवाज गंभीरता के साथ सुनी जाए । ऐसा व्यक्ति देश का नेता होना चाहिए जो सच्चरित्र हो ,ईमानदार हो, घोटालों तथा भाई – भतीजावाद से रहित हो।
ऐसा व्यक्ति केवल और केवल नरेंद्र मोदी है ……….एक मात्र विकल्प नरेंद्र मोदी
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
निवेदक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश//मोबाइल 99976 15451
[15/4/2019, 8:48 PM] Ravi Prakash: डालो वोट संभाल के( कुंडलिया )
*******************************
डालो वोट संभाल के ,करके सोच विचार
किसकी बनना चाहिए,यह सोचो सरकार
यह सोचो सरकार, देश का मुखिया कैसा
बन जाए लाचार , .देश ना ऐसा वैसा
कहते रवि कविराय ,नहीं भ्रम कोई पालो
जिससे देश महान, वोट उसको ही डालो
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[16/4/2019, 9:02 AM] Ravi Prakash: दादा दादी की शादी के 50 साल( बाल कविता: कुंडलिया )
********************************
शादी को जब हो गए , पूरे वर्ष पचास
दादा -दादी हंस रहे, घर में था उल्लास
घर में था उल्लास, केश सब नकली काले
नकली थे सब दाँत , नई बत्तीसी डाले
कहते रवि कविराय ,शेरवानी जब लादी
दादा जी को याद, आ गई अपनी शादी
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[16/4/2019, 9:33 AM] Ravi Prakash: चौकीदार (कुंडलिया)
**********************************
डर को छूमंतर किया , आया चौकीदार
बोला चोरों से सभी , हो जाओ तैयार
हो जाओ तैयार , न चोरी होने दूंगा
होगी सबकी जाँच , तलाशी सबकी लूंगा
कहते रवि कविराय, नागरिक जाओ घर को
अब मैं चौकीदार ,निकालो दिल से डर को
—————-/————–//–/////——–
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[17/4/2019, 10:09 PM] Ravi Prakash: औरत का अपमान (कुंडलिया)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
छोटा यह मसला नहीं , मसला है गंभीर
नारी की अवमानना , सारे जग की पीर
सारे जग की पीर , प्रश्न का उत्तर देना
वोटों का हथियार , हाथ में जमकर लेना
कहते रवि कविराय, वोट मत करना खोटा
औरत का अपमान ,जो करे समझो छोटा
********************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश //मोबाइल 999761 5451
[18/4/2019, 9:41 AM] Ravi Prakash: देश त्योहार मनाए( कुंडलिया)
***********************
आओ सब मिलकर चलें, करने को मतदान
चाहे हों बीमार या , बूढ़े और जवान
बूढ़े और जवान , देश त्यौहार मनाए
लोकतंत्र का राज , आज मतदान बताए
कहते रवि कविराय ,चलो सरकार बनाओ
जिसकी मन में चाह , वोट उसको दे आओ
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[18/4/2019, 2:07 PM] Ravi Prakash: सफलता की राह (कुंडलिया)
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
मिलती है खैरात में, किसको बोलो राह
अपने ही बल पर मिली ,जिसमें होती चाह
जिस में होती चाह, राह वह आप बनाता
संघर्षों से ठोस ,लक्ष्य खुद चलकर आता
कहते रवि कविराय ,जिंदगी श्रम से खिलती
जो होते श्रमवान, सफलता उनको मिलती
********************************
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[22/4/2019, 8:03 AM] Ravi Prakash: पति पत्नी (कुंडलिया)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
पहिए गाड़ी के हुए, पत्नी- पति का साथ
जीवन में अमृत भरा, जब हाथों में हाथ
जब हाथों में हाथ, सदा सुख- दुख में रहते
मन की पीड़ा- हास , एक दूजे से कहते
कहते रवि कविराय, सदा पत्नी संग रहिए
जब भी जाएं साथ ,जिस तरह हैं दो पहिए
*********************************
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[22/4/2019, 8:33 AM] Ravi Prakash: नेता के आँसू (कुंडलिया )
**********************************
नेता का अभिनय बड़ा , यह नौटंकीबाज
रोता भी है सोच के, जलसों में यह आज
जलसों में यह आज, बहाता दिखता आँसू
एक्टिंग इसकी वाह , देखिए कितनी धाँसू
कहते रवि कविराय , दिखाई जैसा देता
समझो है चालाक ,सौ गुना उससे नेता
**********************************
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[22/4/2019, 5:43 PM] Ravi Prakash: कार्यकर्ताओं के नाम( कुंडलिया)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
अपने घर पर कीजिए , पहले तो जलपान
फिर जाकर करना सभी ,बूथों पर मतदान
बूथों पर मतदान , लौटकर वोटर लाएं
जो करते आराम, बूथ तक सब पहुंचाएं
कहते रवि कविराय ,मंत्र सब पड़ते जपने
पड़ने पड़ते पैर , नाक घिसवाते अपने
********************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[22/4/2019, 6:27 PM] Ravi Prakash: धरती पर बोझ (कुंडलिया)
********************************
धरती बोली क्या करूं, मेरी अब यह खोज
मुझ पर भारी बोझ है , नेताओं का रोज
नेताओं का रोज , गालियों से भर जाती
जब भी लेती सांस , एक गाली है आती
कहते रवि कविराय , अरे जीती है डरती
करती है विषपान ,गालियों का नित धरती
*********************************
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[23/4/2019, 10:42 AM] Ravi Prakash: इंक का धब्बा काला (कुंडलिया)
********************************
डाला अपना वोट तो ,अब मुख पर मुस्कान
सुबह- सुबह जाकर किया, हमने भी मतदान
हमने भी मतदान , आज कर्तव्य निभाया
उत्साहित थे लोग , हर्ष मिल-जुलकर आया
कहते रवि कविराय , इंक का धब्बा .काला
मिलता पुण्य निशान, वोट जिसने भी डाला
**********************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश ,मोबाइल 99976 15451
[24/4/2019, 8:45 AM] Ravi Prakash: बच्चों का आधा वोट( कुंडलिया)
********************************
छोटे बच्चे मांगते , अपना आधा वोट
कहते हम बच्चे नहीं , हममें कोई खोट
हममें कोई खोट , सभी हम भोले-भाले
दिल के होते साफ, मैल कब मन में पाले
कहते रवि कविराय , न बेपेंदी के लोटे
दलबदलू चालाक , नहीं है बच्चे छोटे
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश, मोबाइल 99976 15451
[24/4/2019, 8:57 AM] Ravi Prakash: चले साँस अविराम( कुंडलिया)
*******************************
मुड़ते घुटने ठीक से , आंखें करतीं काम
कानों से सब सुन रहे , चले साँस अविराम
चले साँस अविराम, जीभ सब स्वाद बताए
खाने को भरपेट , दाल -रोटी मिल जाए
कहते रवि कविराय,भाग्य के फल जब जुड़ते
करता काम दिमाग , पैर गर्दन सब मुड़ते
*********************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[25/4/2019, 10:27 AM] Ravi Prakash: कैसी-कैसी पत्नियाँ (कुंडलिया )
********************************
कैसी- कैसी पत्नियाँ , दुनिया में इस बार
कोई करती प्यार तो , कोई है संहार
कोई है संहार , काल बनकर यह आती
रिश्तों का यह खून , कर रही देखो जाती
कहते रवि कविराय , दीखतीं ऐसी – वैसी
किस्मत की है बात, मिल रही किसको कैसी
**********************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99 97 61 5451
[27/4/2019, 8:51 AM] Ravi Prakash: मच्छरों से वह हारा( कुंडलिया)
**************
मारा जिसने शेर को, हाथी दिया पछाड़
जीता योद्धा वीर ने , सारा यह संसार
सारा यह संसार, लौटकर घर जब आया
मच्छर की भरमार, सो नहीं किंचित पाया
कहते रवि कविराय ,मच्छरों से वह हारा
काटा सारी रात, दिखा मच्छर का मारा
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश ,मोबाइल 99976 15451
[27/4/2019, 12:38 PM] Ravi Prakash: 97 वर्ष की आयु में मतदान करना स्वयं में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही प्रेरणादायक उदाहरण है। जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। इसी भाव को समर्पित एक कविता:-

माताजी के वोट को, सौ सौ बार प्रणाम
उम्र हुई सत्तानवे , चेतनता अविराम
चेतनता अविराम, उम्र कब आड़े आई
उंगली पर है इंक, लगी देखो दिखलाई
कहते रवि कविराय, सजग ऐसे मतदाता
लोकतंत्र की चाह, सभी हों ऐसी माता
[27/4/2019, 7:50 PM] Ravi Prakash: अभिमान (कुंडलिया)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
मिलता क्याअभिमान से,यहहै विष की खान
जिसके जीवन में हुआ, भरता दुख का गान
भरता दुख का गान , दूर अपने हो जाते
सच्चा जिनका साथ, पास मिलने कब आते
कहते रवि कविराय,साधु-जीवन वह खिलता
जो है नम्र महान , गर्व तृण-मात्र न मिलता
*******************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451
[27/4/2019, 10:36 PM] Ravi Prakash: मच्छर भिन-भिन कर रहे( कुंडलिया )
******************************
मच्छर भिन-भिन कर रहे , जैसे हो संगीत
इनकी भाषा क्या पता, किसको इनका गीत
किसको इनका गीत , बढ़ी इनकी आबादी
आदत से मजबूर , काटने के यह आदी
कहते रवि कविराय , झुंड में आते भर-भर
घर-घर इनका राज, बाज कब आते मच्छर
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[28/4/2019, 9:52 PM] Ravi Prakash: सुख की सबकी कामना( कुंडलिया)
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
सुख की सबकी कामना, सबसे सद्व्यवहार
सबसे मीठा बोलना , सबसे शिष्टाचार
सबसे शिष्टाचार , नहीं कटुता फैलाएं
मानवता का भाव , उचित लेकर यह आएं
कहते रवि कविराय, न आए बदली दुख की
हे प्रभु दो वरदान ,गृहस्थी सबकी सुख की
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[28/4/2019, 9:57 PM] Ravi Prakash: गिनती के दिन चार ( कुंडलिया)
********************************
लाए जीवन में सभी, गिनती के दिन चार
उनमें भी होती रही , सबमें मारममार
सबमें मारममार , लड़ाई झगड़े होते
बस नौ इंच जमीन , जिसलिए रहते रोते
कहते रवि कविराय, चतुर जो थे कहलाए
जब पहुंचे शमशान, साथ में क्या थे लाए
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश // मोबाइल 999 761 5451
[28/4/2019, 10:04 PM] Ravi Prakash: बुराई हंसकर टालें( कुंडलिया )
*********************************
कहते हैं जो आपको , बुरा- बुरा सौ बार
भूले से भी ना करें , उन पर तुच्छ विचार
उन पर तुच्छ विचार , बुराई हंसकर टालें
मन में गहरा घाव ,कभी ना इस पर पालें
कहते रवि कविराय, मस्त जो खुद में रहते
उनको क्या परवाह, और क्या-क्या हैं कहते
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 999 761 5451
[29/4/2019, 12:29 PM] Ravi Prakash: चंदा( कुंडलिया)
××××××××××
चंदा लेने की कला, आओ सीखें ज्ञान
चंदा मांगो चौगुना , यह चंदे का प्राण
यह चंदे का प्राण ,चार लोगों से चलता
जो जाता चुपचाप, हाथ चंदे से मलता
कहते रवि कविराय, जो कहे धंधा मंदा
समझो वह उस्ताद, जानता देना चंदा
*******************************
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[29/4/2019, 12:50 PM] Ravi Prakash: नभ का चंदा (कुंडलिया )
********************************
बोला चंदा क्या करूं , आफत में है जान
घटना- बढ़ना क्यों लिखा,किस्मतसेअनजान
किस्मत से अनजान, भाग्य क्या लेकर आया
कभी दूज का चांद , कभी गोलू कहलाया
कहते रवि कविराय , राज चंदा ने खोला
जैसे जो दिन मिलें , बिताओ चंदा बोला
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश, मोबाइल 999761 5451
[30/4/2019, 6:14 PM] Ravi Prakash: रूठा आम (कुंडलिया)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
रूठा बैठा था मिला , मोटा ताजा आम
बोला किसने रख दिया ,मेरा घटिया नाम
मेरा घटिया नाम , मुझे मामूली कहते
लंगड़ा बना मजाक ,युगों से सहते- सहते
कहते रवि कविराय, जगत ठहराया झूठा
सुंदरतम यूँ आम ,. दीखता रुठा.- रुठा
*****************************
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451
[5/5/2019, 11:15 AM] Ravi Prakash: हास्य (कुंडलिया)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
हँसना जीवन में सदा , हँसने में उल्लास
हँसने में सधकर चली, आती- जाती साँस
आती-जाती साँस ,नहीं मुंह को लटकाओ
दिखते जो गंभीर ,पास मत उनके जाओ
कहते रवि कविराय, नहीं चिंता में फँसना
असली वह धनवान ,जिन्हें आता है हँसना
********************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[5/5/2019, 2:41 PM] Ravi Prakash: हाय पैसे हा पैसे (कुंडलिया )
*******************************
पैसे वाले रो रहे , निर्धन हैं खुशहाल
दिखता उतना ही दुखीजितना जिस पर माल
जितना जिस पर माल , हमेशा रोना-धोना
दिन भर जोड़ -घटाव , सोचते पाना- खोना
कहते रवि कविराय , धनिक रोते हैं ऐसे
कहते हैं दिन – रात , हाय पैसे हा पैसे
********************************
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश // मोबाइल 99976 15451
[7/5/2019, 1:59 PM] Ravi Prakash: अक्षय धन( कुंडलिया)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
रहता धन अक्षय कहां , सोना- चांदी नोट
धन में है विकृति भरी , धन में होती खोट
धन में होती खोट , नहीं अक्षय कहलाता
धरा सांस के साथ , धरा पर ही रह जाता
कहते रवि कविराय, सत्य जीवन का कहता
मरते धन धनवान , सदा सोना कब रहता
==========================
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश ,मोबाइल 99976 15451
दिनांक : 7 मई 2019 ( अक्षय तृतीया )
[10/5/2019, 3:03 PM] Ravi Prakash: यादें (कुंडलिया)
*******************************
यादें जीवन – धन बड़ी , यादें हैं अनमोल
यादों में मोती मिलें , बक्से को ज्यों खोल
बक्से को ज्यों खोल , उछलकर बाहर आतीं
कुछ से मिलती पीर ,खुशबुएँ कुछ भर जातीं
कहते रवि कविराय , नहीं बोझे को लादें
जो देतीं हैं कष्ट , छोड़िए पिछली यादें
********************************
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[10/5/2019, 4:54 PM] Ravi Prakash: यौवन( कुंडलिया)
***************
दिन दो बस यौवन रहा , दो दिन बस बलवान
दो दिन बस तन में रही , मस्ती बाँकी शान
मस्ती बाँकी शान , एक मदिरा ज्यों पी ली
कितने दिन है खाल , नहीं पड़ती जो ढ़ीली
कहते रवि कविराय, आज से ही गिनती गिन
खर्चे पूरे डेढ़ , शेष है बस आधा दिन
******************************
रचयिता:रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 9997 615451
[10/5/2019, 4:55 PM] Ravi Prakash: लू( कुंडलिया )

घर में दोपहरी कटे, नित बारह से चार
आग उगलती पाइए , शोलों की बौछार
शोलों की बौछार ,धूप से बच कर रहिए
छाया में ही बैठ , ग्रीष्म से टाटा कहिए
कहते रवि कविराय, लगेगी लू क्षण भर में
बेचारी मजबूर , नहीं घुस पाती घर में
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451
[11/5/2019, 11:38 AM] Ravi Prakash: शरीर (कुंडलिया)
**************
ढोता बोझ शरीर का , मानव अपना आप
कोई रो- रो ढ़ो रहा , ढ़ोते कुछ चुपचाप
ढ़ोते कुछ चुपचाप, देह का स्वास्थ्य जरूरी
देना तन पर ध्यान , जरूरत है यह पूरी
कहते रवि कविराय , आलसी बैठा सोता
तन होता बेकार, जिंदगी भर फिर ढ़ोता
*******************************
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[11/5/2019, 9:08 PM] Ravi Prakash: धोखा(कुंडलिया )
^^^^^^^^^^^^^^^^
धोखा खाना क्या बुरा , धोखा खाना ठीक
धोखा खाकर थूकिए , गुस्सा जैसे पीक
गुस्सा जैसे पीक , दूसरों को मत देना
यह ही है उपहार , ठीक औरों से लेना
कहते रवि कविराय ,आदमी समझो चोखा
दिल का है जो साफ , नहीं देता है धोखा
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[13/5/2019, 11:20 AM] Ravi Prakash: मदर्स डे( कुंडलिया )
*****************
हिस्से में आई मई , दूजा है इतवार
कहां मिलीं छुट्टी कई, माँ को दो या चार
माँ को दो या चार, काम जीवन भर करती
माँ को कब आराम, समस्या सबकी हरती
कहते रवि कविराय, यही हैं माँ के किस्से
सिर्फ एक इतवार, साल में माँ के हिस्से
*******************************
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
नोट : मदर्स डे प्रतिवर्ष मई के महीने में दूसरे रविवार को मनाया जाता है
[14/5/2019, 3:29 PM] Ravi Prakash: गर्मी की छुट्टी( कुंडलिया)

छुट्टी गर्मी की हुई , करतीं नानी याद
नानी घर रह कर चलें, मई जून के बाद
मई जून के बाद , खूब मस्ती काटेंगे
नानी के घर रोज , ताश पत्ते फाटेंगे
कहते रवि कविराय, मेल फिर होगी कुट्टी
नानी जी के साथ , मनेगी जमकर छुट्टी

रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा.रामपुर उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[14/5/2019, 3:43 PM] Ravi Prakash: जीवन (कुंडलिया )
रहना है सबको यहां , गिनती के दिन चार
क्या झगड़ा करना भला , रिपुता है बेकार
रिपुता है बेकार , साथ में क्या है जाना
किसको है मालूम, लौटकर क्या फिर आना
कहते रवि कविराय , नदी- सा जीवन बहना
दिखता है जो आज, शेष कल को क्या रहना
********************************
रचयिता रवि प्रकाश बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451
[14/5/2019, 3:48 PM] Ravi Prakash: रिश्वत( कुंडलिया )

खाते रिश्वत जो बड़ी , उनकी लंबी कार
उनके ठाठ बड़े हुए ,चौड़ा घर का द्वार
चौड़ा घर का द्वार ,गुणी वह ही कहलाते
दफ्तर से जो लौट, नोट भर-भर कर लाते
कहते रवि कविराय, जन्म यूं तो सब पाते
किस्मत के धनवान, सिर्फ जो रिश्वत खाते
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[14/5/2019, 5:28 PM] Ravi Prakash: रिटायर (कुंडलिया )

सत्तर की मत पूछिए , बूढ़ी तन की चाल
हुआ रिटायर देखिए , खस्ता सारा हाल
खस्ता सारा हाल ,,नहीं जीवन- क्रम रहता
जैसे कटी पतंग , आदमी वैसे बहता
कहते रवि कविराय, आदमी समझो पत्तर
रहता है कब ठोस, साठ जब होता सत्तर

रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451
[16/5/2019, 12:41 PM] Ravi Prakash: पानी का संकट :-
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
नदियाँ सूख रही हैं। सुमित ने अपने घर पर बोरिंग कराने का प्रयास किया ताकि हैंडपंप लग सके तथा पानी की मोटर का प्रबंध हो सके लेकिन प्रयत्न करने पर भी जमीन के अंदर पानी नहीं निकला । फिर घर के दूसरे स्थान पर बोरिंग कराया गया। वहां भी उन्हें असफलता हाथ लगी । यह कहानी किसी एक व्यक्ति या किसी एक शहर की नहीं है ।जगह-जगह जमीन के भीतर पानी खत्म होता जा रहा है और कोशिश करने पर भी बोरिंग का परिणाम सुखद नहीं हो रहा।
नदियों की दुर्दशा के बारे में स्थिति यह है कि नदियों का पानी सूखने लगा है और जो कुछ भी वहां दिखता है वह पानी न होकर काला पानी है । गंदगी से भरा हुआ बहता हुआ नाला जैसी स्थिति सामने आती जा रही है ।बहुत खराब चित्र भविष्य का नजर आ रहा है ।आज से 10-20 – 25 साल पहले तक यह सोचा भी नहीं जा सकता था कि हम कहीं हैंडपंप लगवाना चाहें और वह न लगे । लेकिन आज वास्तव में पानी का संकट उपस्थित है।

कुंडलिया देखिए :-

सूखी सब नदियाँ हुईं , पानी से कंगाल
कहतीं आओ देख लो , आकर मेरा हाल
आकर मेरा हाल , नहीं पानी है बहता
क्या होगा कल सोच, एक डर दिल में रहता
कहते रवि कविराय, परत धरती की रूखी
बोरिंग अब बेकार, धरा भीतर तक सूखी
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश, मोबाइल 9997 61 5451
[20/5/2019, 9:03 AM] Ravi Prakash: बच्चों का फैशन शो( कुंडलिया)
*********************************
फैशन- शो में कर रहे ,बच्चे खूब कमाल
कोई मोदी दिख रहा , दिखा केजरीवाल
दिखा केजरीवाल , परी बन कोई आता
कोई ट्रैफिक रूल,सभी को आ समझाता
कहते रविकविराय, रीझता सबका है मन
नये- नये अंदाज , आज का देखो फैशन
******************************
रचयिताःरवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर,उ.प्र. मोबाइल ः9997615451
[21/5/2019, 4:34 PM] Ravi Prakash: अटकी सांसें (कुंडलिया)
****************************
अटकी सांसें कह रहीं , क्या होगा इस बार
जीते या शायद मिले , पहले जैसी हार
पहले जैसी हार , सोचकर रखो बहाना
जनता है नाराज , सत्य यह सबने माना
कहते रवि कविराय, अधर में किस्मत लटकी
नेता हैं चुपचाप , सांस गर्दन में अटकी
**********************************
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451
[21/5/2019, 7:00 PM] Ravi Prakash: इसको कहते ठाठ( कुंडलिया )
*******************************
जैसे थे हम बीस के ,लगते अब हैं साठ
उम्र कहां चलती पता, इसको कहते ठाठ
इसको कहते ठाठ , नहीं बीमारी पाली
बूढ़ेपन से बैर , घास हमने कब डाली
कहते रवि कविराय , उम्र ढलती है कैसे
ऊबी डूबी शाम , रात में बदली जैसे
*******************************
रचयिताः रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश, मोबाइल 99976 15451
[25/5/2019, 4:48 PM] Ravi Prakash: सब्सिडी दस-दस खाते (कुंडलिया )
**********************************
जिनके नौ बच्चे हुए , दसवाँ है तैयार
कैसे होगा देश का , उनसे बेड़ा पार
उनसे बेड़ा पार , सब्सिडी दस- दस खाते
जिनके हैं बस एक, टैक्स चुपचाप चुकाते
कहते रवि कविराय, कीजिए बच्चे गिन के
अब लाओ कानून ,एक से ज्यादा जिनके
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश ) मोबाइल 99976 15451
[26/5/2019, 10:11 AM] Ravi Prakash: रविवार( कुंडलिया )
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
मतलब छुट्टी का हुआ , समझो है रविवार
छुट्टी दफ्तर की हुई , छुट्टी में घर – बार
छुट्टी में घर- बार, नियम से आज न चलना
जल्दी जागे कौन, काम पर किसे निकलना
कहते रविकविराय,आज पढ़नाकिसको कब
खेलेंगे दिन – रात , सिर्फ मस्ती से मतलब
—————————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99 97 61 545 1
[26/5/2019, 2:44 PM] Ravi Prakash: आग में फंसने पर (कुंडलिया)
*********************************
रखिए गीला तौलिया , मुखमंडल के पास
जाने पाए ना धुआं , पल-पल आए श्वास
पल-पल आए श्वास, आग से बचना सीखो
दम घुटने से मौत , मौत से बचते दीखो
कहते रवि कविराय ,परिस्थिति सदा परखिए
काबू में हो होश , धैर्य को मन में रखिए
————————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश मोबाइल 99 97 61 545 1
[27/5/2019, 9:31 AM] Ravi Prakash: खाली दुकानदार ( कुंडलिया )
******************************
खाली बैठे कट रही, चलती कहां दुकान
ग्राहक की भीड़ें नहीं , बाजारें सुनसान
बाजारें सुनसान , कमाई अब चौथाई
मन लगने की बात, समस्या बनकर आई
कहते रवि कविराय ,एक लत सबने पाली
मोबाइल के साथ ,देखिए सबको खाली
————————————————–
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश ,मोबाइल 99 97 61 5451
[27/5/2019, 4:46 PM] Ravi Prakash: तरबूज (कुंडलिया)
???????????
गर्मी का वरदान हैं , खरबूजे तरबूज
निर्धन क्या धनवान क्या,हर घर इनकी गूँज
हर घर इनकी गूँज , पेट का भरता कोटा
गूदा है क्या वाह , देखिए छिलका मोटा
कहते रवि कविराय , कंठ में आए नरमी
खा ले जो तरबूज , भूल जाए सब गर्मी
—————————————————
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 999 761 5451
[28/5/2019, 7:21 PM] Ravi Prakash: निर्धनों के नौ बच्चे( कुंडलिया)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
बच्चे कैसे कम करें ,बच्चे घर की शान
मरियल हों चाहे भले, बीमारी की खान
बीमारी की खान , खिलाने के कब पैसे
कैसे करें इलाज , पालते जैसे – तैसे
कहते रवि कविराय, तथ्य हैं बिल्कुल सच्चे
धनवानों का एक , निर्धनों के नौ बच्चे
—————————————————
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

1 Comment · 209 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
Mangilal 713
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
Shweta Soni
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
Mahendra Narayan
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
Keshav kishor Kumar
उन पुरानी किताबों में
उन पुरानी किताबों में
Otteri Selvakumar
पुरुष को एक ऐसी प्रेमिका की चाह होती है!
पुरुष को एक ऐसी प्रेमिका की चाह होती है!
पूर्वार्थ
मजदूर
मजदूर
umesh mehra
सब्र करते करते
सब्र करते करते
Surinder blackpen
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
manjula chauhan
मतदान करो
मतदान करो
TARAN VERMA
फितरत
फितरत
Awadhesh Kumar Singh
हम तो कवि है
हम तो कवि है
नन्दलाल सुथार "राही"
नेता बनि के आवे मच्छर
नेता बनि के आवे मच्छर
आकाश महेशपुरी
Mannato ka silsila , abhi jari hai, ruka nahi
Mannato ka silsila , abhi jari hai, ruka nahi
Sakshi Tripathi
" एकता "
DrLakshman Jha Parimal
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पुस्तक
पुस्तक
Sangeeta Beniwal
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
शिव प्रताप लोधी
🌱कर्तव्य बोध🌱
🌱कर्तव्य बोध🌱
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
कवि दीपक बवेजा
"क्रोध"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िद
ज़िद
Dr. Seema Varma
मुझे न कुछ कहना है
मुझे न कुछ कहना है
प्रेमदास वसु सुरेखा
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
डॉक्टर रागिनी
हथियार बदलने होंगे
हथियार बदलने होंगे
Shekhar Chandra Mitra
फितरत अमिट जन एक गहना🌷🌷
फितरत अमिट जन एक गहना🌷🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इस ठग को क्या नाम दें
इस ठग को क्या नाम दें
gurudeenverma198
Mental health
Mental health
Bidyadhar Mantry
कोंपलें फिर फूटेंगी
कोंपलें फिर फूटेंगी
Saraswati Bajpai
कहानी इश्क़ की
कहानी इश्क़ की
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...