सारथी
गोरा है तन
काला है मन
यहां कौन बनेगा
कब किसका साथी ।
झूठी हैं बातें
भ्रमित हैं नाते
मोह मे बंधा
हर जीव स्वार्थी ।
लालच है ज्यादा
संग्रह को उमादा
अज्ञान है मानव
कौन है सारथी ।
दो पल जीवन
थोड़ी सी सांसें
संवार ले जीवन
कहता है प्रार्थी ।।
राज विग 25.11.2018.