*साम्ब षट्पदी—*
साम्ब षट्पदी—
23/09/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
बनावट।
लगे अप्रतिम,
मर्यादित गंगातट।।
लहरों का प्रिय कोलाहल।
अठखेलियाँ रत मंद हवाएँ,
विश्ववंद्या का हर कोई रहा कायल।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
लगावट।
वर्ज्य दिखावट।।
रहता अंतः स्फुल्लित।
चरम पाने को आतुरित।।
स्वीकृति नित्य पावन बंधन में।
समर्पित होते आत्म-विसर्जन में।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
सजावट।
प्रभावी भी होते।
बुद्धि परिश्रम खर्च,
कर दिन-रात नहीं सोते।।
उत्सव समाप्ति की सूचना से ही ,
गुम हो जाती है सारी चहचहाहट।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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