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29 Jul 2023 · 1 min read

सामान्यजन / MUSAFIR BAITHA

सामान्यजन की एक पहचान है मेरे पास

यदि हम अनचटके में बदल लें
अपना घर बार ठौर ठिकाना फोन नम्बर आदि
तो उन्हें ढूंढ़ना पड़ता है
हमें हमारा घर हमारा ठौर
अगर वे हमसे संपर्क की चाह करें

सामान्यजन से हम नहीं जुड़े होते इतने गहरे
कि हमारे संपर्कों में
उपस्थित न हो कोई टूट इस हद तक
कि हमारे ठौर के नयेपन का लेखा
अनचाहे ही उन्हें सुलभ हो जाए

यहां बढ़ा होता है बेहद मतलब का हाथ
और इस बेहदी में रिश्तों की चौहद्दी
सिर्फ और सिर्फ हाट बिकाय की होती है
और तिजारती खुदगर्जी की बाड़ी में
उपजा होती है इकहरा छलराग

सामान्यजन के पांव हमारे घर
बहुधा उस वक्त पड़ते हैं
जब सुकून के एकाकी क्षणों में
हमारे रहने का समय होता है
जबकि ऐन वक्त वे अपने लिए
लाभ लोभ के कुछ और कतरे
बटोरने की जुगत में लगे होते हैं
और हमसे मन मुराद पा लेने का अपनी
किंचित उन्हें इमकान होता है

सामान्यजन हमसे प्रायः
हमारा सुख सुकून मांगते हैं
और चेते अनचेते
हमारे लिए दुख दर्द टांगते हैं।

Language: Hindi
88 Views
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