सामयिक दोहे,
(सामयिक दोहे,)
आज चाँद पर जा रहा, भारत निर्मित यान, (सावन के पहिले सोमवार को )
अब तलाक अपराध है, महिलाओं की शान | (सावन के दूसरे सोमवार को )
धारा सत्तर तीन सौ, लुप्त हुई पहिचान, (सावन के तीसरे सोमवार को )
सभी कार्य होते सफल, इच्छा शक्ति प्रधान |
काशमीर की देख लो, बदलेगी तस्वीर,
जो दुहरा क़ानून था, टूटेगी जंजीर |
सब लगाय उद्योग अब, मिले वहां पर काम,
धरती का यह स्वर्ग है, मिले तभी आराम |
वहाँ जांयगे घूमने, इधर उधर से लोग,
सैर सपाटा कर सकें, जुड़े पुन: संयोग |
पूरे भारत वर्ष में, होगा एक विधान,
कोई जा कर बस सके, सफल रहे अभियान |