साथ
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शीर्षक – साथ
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साथ ही तो एक शब्द नहीं हैं।
जिंदगी में सच साथ ही तो हैं।
हम तुम संग साथ निभाते हैं।
मुश्किल और खुशी बांटते हैं।
एक दूसरे का साथ जीवन हैं।
हां सच तो हमारा साथ होता हैं।
बचपन जवानी के साथ हम हैं।
बस यही तो सच और सही है।
साथ ही तो हम सभी की सोच हैं।
वरना रिश्ते नातों की न जरुरत हैं।
आओ हम सभी साथ चलते हैं।
दोस्ती प्रेम चाहत आकर्षण हैं।
आज साथ की बहुत समस्या हैं।
बस यही एक सच साथ हम कहां हैं।
सोचे साथ का सहयोग क्या होता हैं।
साथ न हम तुम शब्दों का नाम हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र