साथ था
साथ था कभी तेरा मेरा याद हैं के नहीं ,
मुलाकात का दौर था याद हैं के नहीं ।
रूठना मनाना होता था कभी – कभी ,
फिर सब कुछ भूल जाना याद हैं के नहीं ।
नाम एक दूजे का लेते थे साथ सभी ,
एक साथ मुस्कुराना याद हैं के नहीं ।
ना जाने क्या हुआ अचानक बदल गयें तुम ,
पल – पल याद करना याद हैं के नहीं ।
बहुत रोते थे तुम जरा सी बेरुख़ी पर,
बहुत सताया था तुम ने याद हैं के नहीं ।
साथ होंने की ख़ुशी होती थी बहुत ,
दूर जा कर दुखी किया याद हैं के नहीं ।
वज़ह तो बताते खता क्या हुई ,
बेवजह रूलाया याद हैं के नहीं ।
शमा परवीन