साथ चलेगे
रंग उडे़ उमंगे रीती
दुनियां की कैसी प्रीती,
हम दोनो साथ चलेगे
वह मौसम कब आयेगा ।
यूं तो जीवन बीत रहा
धूप-छाँव शाम ए राते ,
बिन बुलाए आती-जाती
सर्दी -गरमी बरसाते ,
लेकिन जीवन बगिया में
पसरा बरसों से पतझड़ ,
हम दोनों साथ चलेगे
वह मौसम कब आयेगा ।
प्रीत का पनघट सूना
घट पनहारिन के रीते ,
न आए पीहर से पाती
अकुलता से भरती रातें ,
नेह दीप की माला में
उजयारा बन जाओ तुम ,
हम दोनों साथ चलेगे
वह मौसम कब आयेगा ।
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शेख जाफर खान