साथ ऐसा तुम मेरा निभाया करो
साथ ऐसा तुम मेरा निभाया करो,
मेरे जीवन का साया बन जाया करो।
थककर ठहरूँ मैं जब भी घनी धूप में,
तुम पेड़ों की छाया बन जाया करो।
पीड़ा हो घनीभूत मन पर छा जाय कभी,
मेरे अधरों की मुस्कान बन जाया करो।
गर कभी शब्द पा न सके मेरे भाव ही,
मेरे गीतों के बोल ही बन जाया करो।
जीवन में कभी गर छा जाये अंधेरा घना,
हो तापित तुम प्रकाश बरसाया करो।