साथी तुझे चलना होगा
हैं अँधेरे तो उजालों का साथ कितना,
चलना उतना ही राही मंजिलों का साथ जितना।
पथ भटक जाए तो वहीं पर बैठ जाना,
सोचना और गहरे पानी पैठ जाना।
जो मिलेंगे मोती उनको सँभाल लेना,
और खुद को मंजिलों में ढाल लेना।
देख तेरी मुश्किलें आसान हो जाएँगी,
मंजिलों पर नई जवानी आ जाएँगी।
सूझती राहें नहीं तो क्या हुआ?
घिर गया अँधेरा तो क्या हुआ?
शांत मन से कोई एक राह चुन ले,
बुझ गया उद्योत तो खद्योत चुन ले।
देख तुझको एक तथ्य बतलाता हूँ,
गर समझ पाए तो सत्य बतलाता हूँ।
जीवन मिला है तो तुझे जीना पडे़गा,
आ गया मयखाने तो पीना पडे़गा।
जी नहीं सकता तो जीने का स्वांग कर,
पी नहीं सकता तो पीने का स्वांग कर।
बात फिर वही कि कुछ तो करना होगा,
मंजिलें गर नापनी है तो साथी चलना होगा।
सोनू हंस