सात पात बिछाए मौजा
सात पात बिछाए मौजा
सब पर परसे खीर
सात पात की सुंदर दोनिया
भर भर देवे नीर।
अजब अनंदा मनवा डोले
रोआँ तक सिहराय
सगर जगत तमासा लागा
मौजा दे बिसराय
भूलि गया है सब संतापा
मनवा उठे न पीर।
सात पात की सुंदर दोनिया
भर भर देवे नीर।
कागा बोले कनक अटारी
सुआ राम सुनाए
अउर कोकिला अमवा चाखे
डारि से दे गिराय
मौजा छकि के तरु फल खाए
आजु बना है बीर।
सात पात की सुंदर दोनिया
भर भर देवे नीर।
अवध पुरी में आज बोलावा
रामा सुधि है आइ
सरजू नीरा लेवे डुबकी
मछरी है उतिराइ
राम रसोइया मौजा चाखि
मनवा मगन गभीर।
सात पात की सुंदर दोनिया
भर भर देवे नीर।
सात पात बिछाए मौजा
सब पर बांटे खीर
सात पात की सुंदर दोनिया
भर भर देवे नीर।
~ माधुरी महाकाश