साड़ी हर नारी की शोभा
साड़ी हर नारी की शोभा है ,
अपितु साड़ी में ही नारी कि शोभा है ।
अति सुन्दर लगे गरिमा लिए हुए ,
संस्कार शीलता दर्शाती शोभा है ।
लज्जा की रक्षा करती घूंघट के सहारे,
सुंदरता को और निखारती यह शोभा है ।
वृद्ध जनों एवं गुरुजनों का आदर जिसमें ,
सर पर पल्लू आदर /सम्मान की शोभा है ।
साड़ी धर्म,जाति,ऊंच नीच की दीवारें तोड़,
अमीर गरीब सभी के तन की शोभा है ।
साड़ी रंग रूप न देखे,न देखे मोटी पतली ,
जैसी भी नारी पहने ,यह सबकी शोभा है ।
साड़ी लाए नारी के व्यक्तित्व पर निखार ,
आत्म विश्वास ,आत्म सम्मान और आत्म गौरव है।
साड़ी है नारी की सुंदरता का पैमाना,
न जाने क्यों सिने तारिकाएं क्यों न इसे अपनाए!
शामिल करें यदि इसे आदत में अपनी तो, देश की जनता का जायदा सम्मान पाएं ।
समाज की हर उम्र की नारी का सम्मान बढे
नारी जनित भीषण अपराध समाज में समाप्त हो जाएं ।
आखिरकार हमारे देश की संस्कृति और
सभ्यता की शोभा है सारी ।