साज ए दिल
साज़ ए दिल पर छेड़कर दर्द की गजल ,
एक तराने की शक्ल दी मैंने जिंदगी को।
या खुदाया! अब तो रहम कर मुझ पर ,
इसके अलावा और क्या करूं तेरी बंदगी को ।
साज़ ए दिल पर छेड़कर दर्द की गजल ,
एक तराने की शक्ल दी मैंने जिंदगी को।
या खुदाया! अब तो रहम कर मुझ पर ,
इसके अलावा और क्या करूं तेरी बंदगी को ।