साजिश का बाजार
रचा जुगनुओं ने नया,साजिश का बाजार।
आओ छीनें रोशनी,. .सूरज से इक बार।।
दिल से दिल का ही अगर,जुडा नही हो तार !
ऐसे रिश्तो में कभी, …..नही उपजता प्यार !!
रमेश शर्मा.
रचा जुगनुओं ने नया,साजिश का बाजार।
आओ छीनें रोशनी,. .सूरज से इक बार।।
दिल से दिल का ही अगर,जुडा नही हो तार !
ऐसे रिश्तो में कभी, …..नही उपजता प्यार !!
रमेश शर्मा.