साजन संग
झुकी पलकें
बिखरी है अलकें
चाँद सा मुख।
मृगनयनी
पिया संग सजनी
खुशी अपार।
गौरे कपोल
अंग-अंग सुडौल
माथे चुम्बन।
बाहों का घेरा
दिलों में है बसेरा
अर्पण तन।
साथ पिया का
जैसे सांस जिया का
रिश्ता अटूट।
~अशोक बैरवा
झुकी पलकें
बिखरी है अलकें
चाँद सा मुख।
मृगनयनी
पिया संग सजनी
खुशी अपार।
गौरे कपोल
अंग-अंग सुडौल
माथे चुम्बन।
बाहों का घेरा
दिलों में है बसेरा
अर्पण तन।
साथ पिया का
जैसे सांस जिया का
रिश्ता अटूट।
~अशोक बैरवा