सागर से सीखो
सागर से सीखो
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सागर से सीखो धैर्य रखना,
गम्भीर और शान्ति होना ।
कितनी लहरें आतीं हैं,
फिर भी अपने को रखता
अडिग है।
भरे हुए अनंत खजाने सागर में है,
जिसमें कोई भी अभिमान नहीं है।
हे! मानुष तुम भी बनो सागर सा,
जिसमें भंडार भरा हीरों का ।
चाहे कितने तूफान आएं,
या काली रात हो ।
दुःखो के बादल छाए रहे ,
या कोई न तेरे साथ हो ।।
कभी नहीं तुम डरना ,
अंधियारी रातों से ।
अंधेरा छंट जायेगा ,
भोर सूरज की किरणों से।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,