सागर से गहरा प्यार तुम्हारा
सागर से गहरा प्यार तुम्हारा
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सागर की गहराई सा से प्यार तुम्हारा,
जिसका कोई पैमाना नहीं,
जग सारा हारा
अमूल्य है पापा तुम्हारी चाहत,
जो बच्चों पर हेबलिहारी!
हमारे लिए तपे हर पल,
जिससे दिल हो जाता आहत।
सागर से गहरा प्यार तुम्हारा—–
अपनी संतान के खातिर,
पीड़ा का पहाड़ पी जाते।
हिमालय सा अडिग हो,
दिन रात मेहनत करते!
ऐसे बहादुर पिता हे होते।।
सागर से गहरा प्यार तुम्हारा——-
शब्द भी कम पापा पड़ जाते,
तुम्हारा बखान करने में–
वेदों के ज्ञाता बनकर,
ज्ञान का पाठ पढ़ाते।।
सागर की गहराई सा है ,
तुम्हारा प्यार !!!!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर