*सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार (कुंडलिया)*
सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार (कुंडलिया)
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सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार
जब यह आता जानिए ,खतरा एक अपार
खतरा एक अपार , शांत यों बारहमासी
रहते हैं निश्चिंत , पर्यटक तट के वासी
कहते रवि कविराय ,बड़ी हो कितनी गागर
क्या जाने यह ज्वार ,किस तरह लाता सागर
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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ज्वार = समुद्र के जल की खूब लहराते हुए आगे बढ़ने या ऊपर उठने की अवस्था