सागर की लहरों
सागर की लहरों
सागर की लहरों,
जरा रूको जरा ठहरो,
मेरे भीतर बुराई को मारो।
तुफानों से है तेरी यारी,
दुनिया कितनी सही कितनी बुरी,
कहां-कहां क्या क्या हो रहा,
थोड़ी देर देख तो जरा।
ये लहर आज मुझसे टकराई,
तो मेरे दोष को मैने जाना,
अब से मेरी हर कोशिश होगी,
शांति से मिठी नदियों सा बहुँ।
ये मेरी गुजारिश इसे स्वीकारो,
सारी दुनिया का दुष्कर्म मारो,
ये सागर की लहरों
जरा रूको जरा ठहरो,
सबके भीतर बुराई मारो।
स्वरचित – कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.