साक्षरता
साक्षरता की अलख जगाएं
मिलकर सुंदर जगत बनाएं
बने विश्व में देश महान,
ऐसा जागृत स्वप्न दिखाएं।
मान बढ़े हर जन का जिससे
ऐसी ज्ञान की अलख जगाएं
भव सागर जो पार कराए,
ऐसा दीपक नित्य जलाएं।
ज्ञान बिना है, मनुज अधूरा
सबको इसका भान कराएं
साक्षरता का पर्व आज है,
मिलकर यह उल्लास मनाएं।
दें सकते हैं, यदि कुछ जग को
प्रेम, ज्ञान ही बस दे जाएं
नहीं बड़ा है ,कुछ भी इससे
ज्ञान स्रोत सम ही बन जाएं
आज सुखद यह बेला आई
मन प्रसन्न आनंद बधाई,
साक्षर जग को कर जाने की,
सुंदर मधुरिम बेला आई।
डा . रंजना वर्मा “रैन”
गोरखपुर।