साकार नहीं होता है
हर साधक की इच्छाओं को, ससमय समुचित बल दिया है तुमने।
इस कल्पना के प्रतिबिंब को, यों स्वरूप ही सकल दिया है तुमने।
बिन इनके स्वप्न और इच्छा में, कोई निश्चित आकार नहीं होता है।
माँ शारदे की कृपा के बिना, कोई भी सपना साकार नहीं होता है।
माता की छवि देखकर लगे, इस शांति में ही अद्भुत सुख बसा है।
माँ की कृपा जिस साधक पर हुई, वो दुविधा में कभी न फॅंसा है।
शांति से मन भी तृप्त होता, इससे उच्च कोई आहार नहीं होता है।
माँ शारदे की कृपा के बिना, कोई भी सपना साकार नहीं होता है।
बसन्त के फूलों से भी कोमल, माता की मूर्ति का स्पर्श लगता है।
उनके साधक में गज़ब की ऊर्जा, जिसका प्रतिपल हर्ष लगता है।
जो ऋतुराज के हृदय पर विराजे, ऐसा कोई सरकार नहीं होता है।
माँ शारदे की कृपा के बिना, कोई भी सपना साकार नहीं होता है।
कोई कलम से नए काव्य लिखे, कोई ब्रश थामे करता चित्रकारी।
कोई कण्ठ से मीठे गीत सुनाता, कोई नृत्य से जीते दुनिया सारी।
शारदे की कृपा-दृष्टि न रहे तो, साधकों का बेड़ापार नहीं होता है।
माँ शारदे की कृपा के बिना, कोई भी सपना साकार नहीं होता है।
गुर सीखने की पहली शर्त है, समर्पण भाव को मन में लाना होगा।
किसी भी नकारात्मक भाव को, हृदय से सुदूर लेकर जाना होगा।
जीतने के लिए सीखना है, अन्यथा जीत का आधार नहीं होता है।
माँ शारदे की कृपा के बिना, कोई भी सपना साकार नहीं होता है।
बसन्त आते ही माँ को मनाओ, माँ तुम्हारी प्रतिभा को निखारेंगी।
कृपा के बल से प्रगति करोगे, माँ तो तुम्हारे प्रदर्शन को निहारेंगी।
माँ की कृपा से काम बनें, ये साधना का फल बेकार नहीं होता है।
माँ शारदे की कृपा के बिना, कोई भी सपना साकार नहीं होता है।