साकार आकार
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कुछ नहीं बेमक़सद यहाँ
हर चीज़ का मक़सद यहाँ
ले जाना ही जब कुछ नहीं
क्या खोना क्या पाना यहाँ
बात अब पहले जैसी रही नहीं
क्या रूठना क्या मनाना यहाँ
कुछ नहीं रहता हमेशा को वैसे
हर चीज़ का आना जाना यहाँ
चलो पूँछ कर ही देख लें अबके
क्या पता मिल जाये ठिकाना यहाँ
बस्तियाँ के पेड़ सारे जल गये हैं
न बचा कोई पंछियों का निशाँ भी यहाँ
जो भी मिलता है हाल पूँछता है
क्या बताएँ कैसे, हमारे हालात यहाँ