सांस टूट रही थी और अस्पताल दूर था
सांस टूट रही थी और अस्पताल दूर था
हम मर गए, इसमें भी हमारा क़सूर था
मिल न पाई दवा, और ब्लैक में थी हवा
आप बदनाम हों, ये इरादा न हुज़ूर था
आपने चटाई अफ़ीम, आपने सपना बेचा
अंत मगर जब आया तो सब चूर-चूर था
दौलतमंद तो आपके ही संग घूमता रहा
आपके चक्के तले जो मरा, वो मज़दूर था।