सांसों का क्या ठिकाना है
तेरे साथ हर पल बिताना है
सांसों का क्या ठिकाना है
ना रुक थक हार कर के
ना बैठ मन मार कर के
हर हाल में चलते जाना है
सांसों का क्या ठिकाना है
जो करना है कर ले अभी
ना टाल -मटोल कर कभी
हर पल सीखना सिखाना है
सांसों का क्या ठिकाना है
जो बीत गया वो पल बेहतर
जो आयेगा वो कल बेहतर
हर लम्हे का साथ निभाना है
सांसों का क्या ठिकाना है
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर