– सांसारिक मोहमाया –
सांसारिक मोहमाया –
बेटा मेरा बड़ा होकर बनेगा बुढ़ापे की लाठी,
बनेगा वो सहारा मेरा राज दुलारा,
करते मां बाप जिस पर अभिमान,
जोड़ते जिसके लिए पाई – पाई,
खुद सहते दुख और पीड़ा,
रखते अपनी संतान का ध्यान
न हो दूसरे के जैसा हमारा बेटा,
ऐसा मां बाप अपने मन में है जान,
बेटा बहु दोनो करेगे सेवा,
पोते -पोती पर है अभिमान ,
पर समय आने पर कोई साथ न देता,
यह है कोरी सांसारिक मोहमाया,
मोहमाया का जाल,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान