Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jul 2019 · 1 min read

सांप-नेवला एक साथ

घात पे घात
सांप और नेवले
हैं एक साथ

घात पे घात
सांप और नेवला
हैं एक साथ

चुनावी रेल
होती धक्कम धक्का
रेलम पेल

देखो जो खोटा
विकल्प है सामने
दबाना नोटा

झूठे वायदे
झूठी इनकी बातें
भांपो इरादे

@ अरशद रसूल

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 381 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
समाज और सोच
समाज और सोच
Adha Deshwal
याद आते हैं
याद आते हैं
Chunnu Lal Gupta
#उपमा
#उपमा
*प्रणय प्रभात*
"सिलसिला"
Dr. Kishan tandon kranti
मेले
मेले
Punam Pande
चोर उचक्के सभी मिल गए नीव लोकतंत्र की हिलाने को
चोर उचक्के सभी मिल गए नीव लोकतंत्र की हिलाने को
इंजी. संजय श्रीवास्तव
भारतीय रेल (Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
भारतीय रेल (Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
Vijay kumar Pandey
सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..
सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..
Nasib Sabharwal
शिव शंभू भोला भंडारी !
शिव शंभू भोला भंडारी !
Bodhisatva kastooriya
लाल रंग मेरे खून का,तेरे वंश में बहता है
लाल रंग मेरे खून का,तेरे वंश में बहता है
Pramila sultan
मन करता है
मन करता है
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
दोहा निवेदन
दोहा निवेदन
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आज भगवान का बनाया हुआ
आज भगवान का बनाया हुआ
प्रेमदास वसु सुरेखा
नववर्ष पर मुझको उम्मीद थी
नववर्ष पर मुझको उम्मीद थी
gurudeenverma198
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के अन्तर्विरोध
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के अन्तर्विरोध
कवि रमेशराज
चंदा मामा (बाल कविता)
चंदा मामा (बाल कविता)
Ravi Prakash
सिलसिला रात का
सिलसिला रात का
Surinder blackpen
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
VINOD CHAUHAN
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
The_dk_poetry
कदमों में बिखर जाए।
कदमों में बिखर जाए।
लक्ष्मी सिंह
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
लक्ष्य
लक्ष्य
Mukta Rashmi
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
Paras Nath Jha
अनवरत ये बेचैनी
अनवरत ये बेचैनी
Shweta Soni
3036.*पूर्णिका*
3036.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
Neeraj Agarwal
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
sushil sarna
जंजीर
जंजीर
AJAY AMITABH SUMAN
Loading...