सांचा प्रेमी
रस में रस है प्रेम रस, पान करे सो जान ।
जो नर प्रेम ना कर सके, जड़बत रहे जहांन ।।
प्रेम है ईश्वर अल्लाह, गीता और कुरान ।
जो जन सबसे प्रेम करे, सांचा प्रेमी जान ।।
प्रेम दिया इंसान को, हिंसा को शैतान ।
जहां प्रेम जन्नत वहां, द्वेष को दोजख मान ।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी