# सांग – सत्यवान-सावित्री # अनुक्रमांक-3 # प्रकट होगी देबीमाई, चलकै ब्रहमलोक तै आई, राजन् आज तेरे अस्थान मैं, री देबी चाहू देखणी, एक बर तेरी शान मैं ।। टेक ।।
# सांग – सत्यवान-सावित्री # अनुक्रमांक-3 #
जवाब – देबीमाई और राजा का।
प्रकट होगी देबीमाई, चलकै ब्रहमलोक तै आई, राजन् आज तेरे अस्थान मैं,
री देबी चाहू देखणी, एक बर तेरी शान मैं ।। टेक ।।
यज्ञ-हवनए तप-अराधना, करते वर्ष बितगे अठारा,
प्रजा न्याकारी राजा, गऊ ब्रहामण का प्यारा,
म्हारा बेड़या परा लगाईए, राजन् मांग तनै जो चाहिए,
आज देरी सू वरदान मैं, चाहूं तेरे कैसी सुन्दर संतान मै ।।
करण दुहाई आंऊ देबी, रोजाना तेरे दर पै,
तेरे सारे कारज सिद्ध होज्यागें, राख भरोसा हर पै,
सिर पै हाथ टिकाईये मेरै, नोमै महिनै घर पै तेरै,
जन्म लूंगी आण मैं, खुशी मनाऊ घर-घर बांटू पकवान मैं ।।
रूद्राणी गिरजा-गौरी, कैलाश पहाड़ पै डेरा,
ल्युंगी जन्म तेरे घर पै, तनै सहम पाटज्या बेरा,
तेरा पुजै धाम जमाना, मेरा जाणै नाम जमाना,
मै प्रसिद्द होंगी सारे जहान मैं, री देबी 24 घंटे राखूं तेरा ध्यान मैं ।।
तू जगजननी-जगदम्बे, शक्ति की अवतारी,
तेरी भक्ति का फल देने आई छत्रधारी,
सारी दुनियां की रखवाली, भद्रा लक्ष्मी मैं सू काली,
तेरा जाणू थी बरतान मैं, इस राजेराम की श्रुती भगवान मैं ।।