Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2024 · 1 min read

सांकल

जब से खोली
दिल की सांकल
तुम्हारे लिए
तब से
बंद कर दिए
किवाड़
जग के लिए।

Language: Hindi
4 Likes · 45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Priya Soni Khare
View all
You may also like:
सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे
सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे
अंसार एटवी
मन में मदिरा पाप की,
मन में मदिरा पाप की,
sushil sarna
........,?
........,?
शेखर सिंह
गुरु वह जो अनंत का ज्ञान करा दें
गुरु वह जो अनंत का ज्ञान करा दें
हरिओम 'कोमल'
पहला श्लोक ( भगवत गीता )
पहला श्लोक ( भगवत गीता )
Bhupendra Rawat
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
"बदलते रसरंग"
Dr. Kishan tandon kranti
हमें अब राम के पदचिन्ह पर चलकर दिखाना है
हमें अब राम के पदचिन्ह पर चलकर दिखाना है
Dr Archana Gupta
कमरा उदास था
कमरा उदास था
Shweta Soni
कोई दवा दुआ नहीं कोई जाम लिया है
कोई दवा दुआ नहीं कोई जाम लिया है
हरवंश हृदय
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
जागृति
जागृति
Shyam Sundar Subramanian
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
Phool gufran
जब दादा जी घर आते थे
जब दादा जी घर आते थे
VINOD CHAUHAN
मेरे   परीकल्पनाओं   की   परिणाम   हो  तुम
मेरे परीकल्पनाओं की परिणाम हो तुम
पूर्वार्थ
*अमर तिरंगा रहे हमारा, भारत की जयकार हो (गीत)*
*अमर तिरंगा रहे हमारा, भारत की जयकार हो (गीत)*
Ravi Prakash
कोई पूछे मुझसे
कोई पूछे मुझसे
Swami Ganganiya
☝#अनूठा_उपाय-
☝#अनूठा_उपाय-
*प्रणय प्रभात*
तुम्हारी याद तो मेरे सिरहाने रखें हैं।
तुम्हारी याद तो मेरे सिरहाने रखें हैं।
Manoj Mahato
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
दो शे'र - चार मिसरे
दो शे'र - चार मिसरे
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
कवि रमेशराज
3067.*पूर्णिका*
3067.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पलकों की
पलकों की
हिमांशु Kulshrestha
जंजालों की जिंदगी
जंजालों की जिंदगी
Suryakant Dwivedi
तन्हाई
तन्हाई
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आज का इंसान
आज का इंसान
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
Ramnath Sahu
जवानी के दिन
जवानी के दिन
Sandeep Pande
Loading...