सांई तेरे दर पर आकर, भूल सभी गम जाते हैं
सांई तेरे दर पर आकर, भूल सभी गम जाते हैं
दर्शन तेरा कर लेते हैं, और कृपा हम पाते हैं
झूठी माया के चक्कर में, ये मन भटका रहता है
हर पल लालच की भँवरों में, ये मन अटका रहता है
तेरे वचनों को पढ़ पढ़ कर, मन को हम समझाते हैं
सांई तेरे दर पर आकर, भूल सभी गम जाते हैं
सांई तेरे दर पर आकर, भूल सभी गम जाते हैं
हम तो हैं अज्ञानी साईं, हमको ज्ञान जरा देना
सद्भावों की राह चलाकर, भव से पार करा देना
हाथ जोड़ कर वंदन करते , अपना शीश झुकाते हैं सांई तेरे दर पर आकर, भूल सभी गम जाते हैं
सारे रिश्ते नाते झूठे, तुझसे सच्चा नाता है
तेरे सिवा नहीं अब साईं, कोई हमें सुहाता है
तेरी महिमा गा गाकर हम ,तुझको सदा रिझाते हैं
सांई तेरे दर पर आकर, भूल सभी गम जाते हैं
06-03-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद