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15 Dec 2023 · 1 min read

*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*

साँसों ने तड़फना कब छोड़ा
***********************

साँसों ने तड़फना कब छोड़ा,
फूलों ने महकना कब छोड़ा।

लैला ने बेशक आना छोड़ा,
मजनू ने टहलना कब छोड़ा।

कलियों से भरा उपवन सारा,
भँवरों ने बहकना कब छोड़ा।

चाहे देख ना पाया आशिक,
गौरी ने मटकना कब छोड़ा।

कालें बादलों के छाये साये,
सूर्य ने निकलना कब छोड़ा।

दिल दीवाना सा मनसीरत,
भावों ने मचलना कब छोड़ा।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

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