“साँसे गिनते हुए”
जिया नहीं गया हमसे
उस कटघरे में ताज्जुब क्या है?
मैं ने देखा है कठपुतलियों सी
जिन्दा लाशें कई वहाँ चलते हुए।
आजाद हूँ कैद गँवारा नहीं मुझे
हैं लोग कई बेबस अब भी
वहाँ सांसे गिनते हुए।
-शशि “मंजुलाहृदय”
जिया नहीं गया हमसे
उस कटघरे में ताज्जुब क्या है?
मैं ने देखा है कठपुतलियों सी
जिन्दा लाशें कई वहाँ चलते हुए।
आजाद हूँ कैद गँवारा नहीं मुझे
हैं लोग कई बेबस अब भी
वहाँ सांसे गिनते हुए।
-शशि “मंजुलाहृदय”