सहजता बोलेगी कि, सज्जन सु चेतन कूक हैं
प्रेम उनके निकट पर वह तो तनी बंदूक हैं |
इसलिए ही आज तक बजता हुआ संदूक हैं |
नेक जन बनकर, स्वयं निज को, अहं से मुक्त कर|
सहजता बोलेगी कि ,सज्जन सुचेतन कूक हैं |
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता