सस्ता ख़ून-महंगा पानी
मानव जीवन की तुम देखो
अद्भुत यही कहानी है।
लहू यहां पर हुआ है सस्ता,
पर, सबसे महंगा पानी है।।
जिन आंखों का मरा है पानी
यह लहू बहा बेमानी है।
खून हुआ है सस्ता देखो,
महंगा बहुत यह पानी है।।
देश पर मर मिटने वालों ने ,
लहू की कीमत जानी है ।
लक्ष्मीबाई ने गोरों को खदेड़ा,
तलवार की प्यास बुझानी है।।
धरती मांगे सदा लहू को
यह कैसी उसकी रवानी है।
सुभाष चंद्र ने मिट्टी के लिए,
मांगा लहू, बलिदानी है।।
धरती सदा रही है प्यासी
रक्त से प्यास बुझाई है।
पानी तो अक्षय वरदानी,
यह तो जीवनदायनी है।।
प्यासा जाने जल की कीमत
और नादान सभी अज्ञानी है।
स्वार्थ में मानव अंधा होकर ,
लहू का प्यासा वो अभिमानी है ।।