सवैया
चंद हरीश सवैया का अवलोकन करें।
-१-
माँ शारदे
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212 212 212 212, 212 212 212 211 1
वाक, वाक्येश्वरी,ज्ञानदा,शारदा,भारती,पार्वती,शारदे हे!नमन।
गो,गिरा,ज्ञान देवी,इला,ईश्वरी, माँ! धरो ध्यान मेरा करो आगमन।
ज्ञान का सार दे शारदे!तार दे,भक्ति दे भाव दे माँ! करो उन्नयन।
हो अहो!भाग्य मेरा करूँ साधना,छंद से मैं करूँ अर्चना आचमन।।
–२—
कृष्ण
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कृष्ण,कान्हा,कन्हैया,मुरारी भजो,या भजो द्वारिकाधीश राधारमण।
नाम न्यारा बड़ा नाम प्यारा बड़ा,वो तरे जो भजे नाथ को जा शरण।
प्रेम के धाम हैं, सत्य ये नाम हैं, पावनी भावना का वरें आवरण।
आप गोता लगा के जरा देखिये,भाव गंगा बहे स्वच्छ हो आचरण।।
-३-
पिता
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पाठशाला पिता,प्राण-दाता पिता,जन्मदाता,विधाता, नियंता प्रथम।
ब्रह्म के तुल्य मानूँ सदा आपको,आप मेरे लिए, हो पिताजी अहम।
स्थान है आपका तात! मेरे लिए,तुंग से,श्रृंग से, सर्वदा उच्चतम।
धन्य भू-भारती-पूत मेरे पिता,हे!प्रणेता पिताश्री तुम्हीं अन्यतम।
अभय कुमार “आनंद”
विष्णुपुर, पकरिया,बाँका,बिहार